मार्क्स का ऐतिहासिक भौतिकवाद

मार्क्स का ऐतिहासिक भौतिकवाद (Historical Materialism )

                                        मार्क्स ने यह सिद्धांत पूंजीवादी  समाज के उदविकास के सम्बन्ध में प्रतिपादित किया जो कि सामाजिक परिवर्तन के सिद्धांत के अंतर्गत आता है 
इतिहास +भौतिकवाद =बीते हुए समाजों की भौतिकवाद के आधार पर व्याख्या करना ही 'ऐतिहासिक भौतिकवाद' है। 
मार्क्स पहले भौतिकवाद की व्याख्या करते हैं। इनके अनुसार प्रत्येक समाज की दो संरचनाये होती हैं -               १-अधोसंरचना       २-अधिसंरचना 
                      आर्थिक व्यवस्था के अंतर्गत उत्पादन की प्रणाली आती है तथा उत्पादन की प्रणाली के अंतर्गत उत्पादन के साधन और उत्पादन के सम्बन्ध पाए जाते हैं।मार्क्स के अनुसार जब उत्पादन के साधन में परिवर्तन आता है तो लोगों के आपसी सम्बन्ध अर्थात उत्पादन के सम्बन्ध में परिवर्तन आ जाता है,जिससे सम्पूर्ण उत्पादन  प्रणाली में परिवर्तन आ जाता है और जब सम्पूर्ण उत्पादन प्रणाली में परिवर्तन आता है तो सम्पूर्ण आर्थिक व्यवस्था परिवर्तित होती है जिससे संपूर्ण समाज परिवर्तित हो जाता है क्योंकि आर्थिक व्यवस्था ही समाज में परिवर्तन का एक मात्र कारण है। यही मार्क्स का 'आर्थिक निर्धारणवाद' या भौतिकवाद(materialism) है।

                        मार्क्स के अनुसार इतिहास में चार प्रकार के समाज पाए जाते  हैं -

१-आदिम समाज 
२-प्राचीन समाज 
३-सामंतवादी समाज 
४-पूंजीवादी समाज 

     आदिम समाज -   

                          इस समाज में मानव झुण्ड बनाकर रहते थे जिसमे कोई वर्ग नहीं पाया जाता था।क्योंकि उस समय उत्पादन का कोई साधन नहीं था। सभी क्षमतानुसार कार्य करते थे और आवश्यकतानुसार पूर्ति करते थे इसलिए इसे  'आदिम साम्यवादी' समाज कहा जाता है। 
   

     प्राचीन समाज -

                           प्राचीन समाज में पहले पत्थर के औजार उत्पादन के साधन थे तब मालिक और दास के सम्बन्ध पाए जाते थे. परन्तु जैसे ही भूमि उत्पादन के साधन के रूप में प्रयोग होने लगी वैसे ही लोगों के सम्बन्ध बदल गए। 

  सामंतवादी समाज -

                                 इस समाज में भूमि उत्पादन के साधन के रूप में प्रयोग होने लगी और लोग जमींदार और किसान दो वर्ग में बँट गए। अर्थात उत्पादन की प्रणाली परिवर्तित हुई तो सम्पूर्ण समाज परिवर्तित हो गया। 

   पूंजीवादी समाज -

जब उत्पादन के साधन भूमि से  परिवर्तित होकर बड़े-बड़े उद्योग और बड़ी -बड़ी मशीनों  में बदल गए तो सामंतवादी समाज परिवर्तित होकर पूंजीवादी समाज बन गया और लोगों के सम्बन्ध बदल गए तथा पूंजीपति और सर्वहारा दो वर्ग बन गए। इस प्रकार पूंजीवादी समाज का उदविकास हुआ। 
                        निष्कर्षतः मार्क्स ने यह बताया की किस प्रकार उत्पादन के साधन से सम्बन्ध और सम्बन्ध से समाज में परिवर्तन हुआ। अतः आर्थिक व्यवस्था ही सामाजिक परिवर्तन का कारण है। 





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