मार्क्स का स्तरीकरण का सिद्धांत
मार्क्स का स्तरीकरण का सिद्धांत
समाज में कई वर्ग
पाए जाते हैं और सभी वर्गों या समूहों में कुछ असमानता
पायी जाती है इसी सामूहिक असमानता या वर्गों की विषमता को स्तरीकरण
कहा जाता है।
मार्क्स के अनुसार इतिहास के सभी समाजों में वर्ग संघर्ष पाया जाता
है इसका अर्थ है की सभी समाजों में एक से अधिक वर्ग या समूह पाए जाते हैं
अर्थात इतिहास के लगभग सभी समाजों में स्तरीकरण विद्यमान था। किन्तु वर्ग
का निर्माण आर्थिक व्यवस्था या उत्पादन के साधन के आधार पर होता है।
जो इस आर्थिक व्यवस्था या उत्पादन के साधन के मालिक होते हैं उन्हें शासक
वर्ग कहा जाता है, जो इस व्यवस्था के मालिक नहीं होते हैं उन्हें
शासित वर्ग कहा जाता है। दोनों वर्गों के परस्पर विरोधी हित आपस में टकराते हैं जिससे दोनों में सदैव संघर्ष चलता रहता है। इसलिए इसे
"स्तरीकरण का द्वंद्ववादी सिद्धांत" या
"स्तरीकरण का संघर्षवादी सिद्धांत" कहा जाता है।इतिहास में चार
प्रकार के समाज पाए जाते हैं -
१-आदिम समाज -
यहाँ कोई उत्पादन का साधन नहीं था इसलिए यहाँ आर्थिक व्यवस्था
भी नहीं पायी जाती थी न तो कोई वर्ग था इसलिए कोई स्तर भी नहीं
पाया जाता था,वर्ग संघर्ष भी नहीं पाया जाता था। सभी के कार्य
योग्यता के अनुसार बंटे होते थे।इसलिए यहाँ स्तरीकरण भी नहीं पाया जाता
था।
२-प्राचीन समाज -
यहाँ पत्थर के औजार उत्पादन के साधन थे इसलिए आर्थिक व्यवस्था भी पाई जाती
थी। उत्पादन के साधन के आधार पर यहाँ दो वर्ग पाए जाते थे पहला औजार
के स्वामी जिन्हे मालिक कहा गया ये शोषक वर्ग में आते हैं दूसरा वर्ग
उनका जो इन औजारों पर काम करते थे उन्हें दास या शोषित वर्ग कहा जाता
था। दोनों वर्गों में स्वार्थ पाया जाता था जिसकी टकराहट के कारण ही
सदैव वर्ग संघर्ष चलता रहता था।अतः यहाँ स्तरीकरण पाया जाता था।
३-सामंतवादी समाज -
यहाँ कृषि की भूमि उत्पादन के साधन एवं आर्थिक व्यवस्था के रूप
में कार्य करती थी जिसके आधार पर दो वर्ग पाए जाते थे पहला
जमींदार जो शासक वर्ग के अंतर्गत आता था दूसरा किसान जो की शोषित वर्ग
में आता था। दोनों वर्गों में स्वार्थों की टकराहट के कारण
सदैव वर्ग संघर्ष चलता रहता था और यहाँ स्तरीकरण पाया जाता
था।
४-पूंजीवादी समाज -
यहाँ बड़ी बड़ी मशीने एवं उद्योग उत्पादन के साधन एवं आर्थिक व्यवस्था के रूप
में कार्य करते हैं।इसके आधार पर यहाँ दो वर्ग पाया जाता है पहला
पूंजीपति वर्ग जो शासक वर्ग है दूसरा
सर्वहारा
वर्ग जो शोषित वर्ग है। दोनों वर्गों के स्वार्थों की टकराहट के कारण
सदैव वर्ग संघर्ष चलता रहता है। यहाँ स्तरीकरण पाया जाता है।
निष्कर्षतः इस सिद्धांत द्वारा मार्क्स ने यह बताया की लगभग
प्रत्येक समाज के समूहों में कुछ न कुछ असमानता पायी जाती है जिसके
कारण
स्तरीकरण
पाया जाता है। मार्क्स ने स्तरीकरण का मुख्य कारण उत्पादन
के साधन को बताया है।
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