टाल्कॉट पारसन्स (Talcott Parsons)
टाल्कॉट पारसन्स
(Talcott Parsons)
(अमेरिकी समाजशास्त्री)
(1902 - 1979)
जीवन परिचय -
आधुनिक अमेरिकी समाजशास्त्रियों में टालकॉट पार्सन्स की गणना एक
दिग्गज सिद्धांतकार के रूप में की जाती है। उन्होंने सिद्धांत रचना की
पारसन्सवादी शैली का प्रारम्भ कर समाजशास्त्र को एक नई दिशा प्रदान की।
पारसन्स ने द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अमेरिकी
समाजशास्त्र पर गहरा प्रभाव अंकित किया और अपनी ढेर सारी
समाजशास्त्रीय कृतियों के साथ विश्व के समाजशास्त्रीय पटल पर छा
गए।पारसन्स के सिद्धांत और समाजशास्त्रीय अवधारणाएं 1970 तक समाजशास्त्रीय
जगत में आकर्षण का केन्द्र बने रहे। पारसन्स बहुत बड़े प्रकार्यवादी
थे और इन्होने प्रकार्यवाद को बीसवीं शताब्दी की सबसे सशक्त विचारधारा बना
दिया।
पारसन्स मैक्स वेबर
के शिष्य थे और उनसे बहुत अधिक प्रभावित थे। इन्होने वेबर की प्रख्यात कृति
'The Protestant Ethic and the spirit of Capitalism ' का अंग्रेजी में
अनुवाद किया जो कि 1960 में प्रकाशित हुई।
पारसन्स
के समाजशास्त्र को व्यवस्था का समाजशास्त्र कहा जाता है क्योंकि
इन्होने अपने सभी सिद्धांतों को सामाजिक व्यवस्था के आधार पर
प्रतिपादित किया।
पारसन्स के समाजशास्त्रीय सिद्धांत को
"संरचनात्मक प्रकार्यवाद"
या "आदर्शवादी प्रकार्यवाद" के नाम से जाना जाता है।
पारसन्स की प्रमुख कृतियां -
1- The Structure of Social Action (1937)
2- The Social Structure (1949)
3- The Social System (1951)
4- Towards a General Theory of Action ,(with E.Shils)-1951
5- Family,Socialization and Interaction Process (with
Bales)-1953
6- Essays in Sociological Theory (1964 )
7- Societies; Evolutionary and Comparative Perspectives (1966 )
8- Politics and Social Structure (1969 )
9- The System of Modern Societies (1971 )
पारसन्स के प्रमुख सिद्धांत-
1 -सामाजिक क्रिया का सिद्धान्त
2 -सामाजिक व्यवस्था का सिद्धांत या संरचनात्मक प्रकार्यवादी
सिद्धान्त
3 -प्रतिमान विकल्प
4 -सामाजिक परिवर्तन का सिद्धांत
पारसन्स का प्रमुख उद्देश्य सम्पूर्ण
समाजशास्त्र के लिए एक ऐसा वैचारिक ढांचा तैयार करने का था जो सभी सामाजिक विज्ञानों
को एक सूत्र में पिरो सके। इसके लिए उन्होंने व्यक्तिगत क्रिया और वृहत
स्तरीय सामाजिक प्रणाली व्यवस्था के विश्लेषण द्वारा इनमे समन्वय स्थापित
करने का प्रयास किया।
प्रारम्भ से ही पारसन्स ने समाजशास्त्र में एक ऐसे
समग्रात्मक ,समाकलित सिद्धांत की रचना का प्रयास किया जिसमे उन्होंने
समाजशास्त्र के प्रमुख जन्मदाताओं की भिन्न दृष्टियों का समन्वय कर उसे एक
एकीकृत समष्टि का रूप दिया। इस सिद्धांत में उन्होंने एक ओर वेबर के
व्यक्तिवाद तो दूसरी ओर
दुर्खीम के समष्टिवाद को एक दूसरे के साथ जोड़ने का प्रयास किया।
विचार ,मूल्य और मानदंड पारसन्स की वैचारिक प्रणाली के
मुख्य केन्द्र बिन्दु रहे।
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