वेबर का स्तरीकरण
वेबर का स्तरीकरण
मैक्स वेबर
का स्तरीकरण मार्क्स के स्तरीकरण का एक संशोधित रूप है।
इसमें मार्क्स के स्तरीकरण की झलक दिखाई पड़ती है।
मार्क्स
अपने स्तरीकरण के सिद्धांत में वर्ग निर्माण का एक मात्र आधार आर्थिक
व्यवस्था को मानते हैं। वेबर इसी सिद्धांत की प्रतिक्रिया में कहते
हैं की आर्थिक व्यवस्था वर्ग निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण आधार हो सकती है,
यह वर्ग को ऊँचा उठा सकती है या वर्ग को नीचे गिरा सकती है अर्थात वर्ग को
प्रभावित कर सकती है किन्तु कभी-कभी सामाजिक व्यवस्था के आधार पर भी वर्ग
या समूह का निर्माण होता है और उन सभी में विषमता पायी जाती है। इसलिए
सामाजिक व्यवस्था भी स्तरीकरण का एक आधार है।
भारत में जाति व्यवस्था सामाजिक व्यवस्था के कारण पाए जाने वाले वर्ग का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।
2 - राजनीतिक व्यवस्था के आधार पर-
इसमें मार्क्स के स्तरीकरण की झलक दिखाई पड़ती है।
वेबर तीन आधारों पर स्तरीकरण की व्याख्या करते हैं -
1 - सामाजिक व्यवस्था के आधार पर -
भारत में जाति व्यवस्था सामाजिक व्यवस्था के कारण पाए जाने वाले वर्ग का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।
2 - राजनीतिक व्यवस्था के आधार पर-
कभी-कभी राजनीतिक व्यवस्था के आधार पर भी समाज में अनेक वर्ग पाए जाते हैं।
जैसे -सत्ताधारी वर्ग एवं गैर-सत्ताधारी वर्ग।
३-आर्थिक व्यवस्था के आधार पर-
आर्थिक व्यवस्था वर्ग निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण आधार हो सकती है, यह वर्ग को ऊँचा उठा सकती है या वर्ग को नीचे गिरा सकती है अर्थात वर्ग को प्रभावित कर सकती है।
इसलिए मात्र आर्थिक व्यवस्था के आधार पर ही वर्ग का निर्माण नहीं होता है बल्कि सामाजिक एवं राजनीतिक व्यवस्था के आधार पर भी हो सकता है।
अतः आर्थिक,सामाजिक तथा राजनीतिक इन तीनो के आधार पर समाज में स्तरीकरण पाया जाता है।
३-आर्थिक व्यवस्था के आधार पर-
आर्थिक व्यवस्था वर्ग निर्माण का एक महत्त्वपूर्ण आधार हो सकती है, यह वर्ग को ऊँचा उठा सकती है या वर्ग को नीचे गिरा सकती है अर्थात वर्ग को प्रभावित कर सकती है।
इसलिए मात्र आर्थिक व्यवस्था के आधार पर ही वर्ग का निर्माण नहीं होता है बल्कि सामाजिक एवं राजनीतिक व्यवस्था के आधार पर भी हो सकता है।
अतः आर्थिक,सामाजिक तथा राजनीतिक इन तीनो के आधार पर समाज में स्तरीकरण पाया जाता है।
वर्ग को परिभाषित करने के लिए
वेबर समान जीवन अवसर (Common Life Chance) की बात करते हैं -
वेबर कहते हैं कि आर्थिक व्यवस्था के आधार पर समान जीवनशैली व्यतीत करने वाले लोगों के समूह को एक वर्ग (Class) का कहा जाता है।
समाजिक व्यवस्था के आधार पर समान जीवनशैली व्यतीत करने वाले लोगों के समूह को एक प्रस्थिति (Status) का कहा जाता है।
राजनीतिक व्यवस्था के आधार पर समान जीवनशैली व्यतीत करने वाले लोगों के समूह को एक दल (Party)/Power का कहा जाता है।
वेबर कहते हैं कि आर्थिक व्यवस्था के आधार पर समान जीवनशैली व्यतीत करने वाले लोगों के समूह को एक वर्ग (Class) का कहा जाता है।
समाजिक व्यवस्था के आधार पर समान जीवनशैली व्यतीत करने वाले लोगों के समूह को एक प्रस्थिति (Status) का कहा जाता है।
राजनीतिक व्यवस्था के आधार पर समान जीवनशैली व्यतीत करने वाले लोगों के समूह को एक दल (Party)/Power का कहा जाता है।
इन्ही तीनों अक्षरों द्वारा वेबर स्तरीकरण की व्याख्या करते हैं
इसलिए इनके स्तरीकरण के सिद्धांत को त्रिआयामी सिद्धांत (Three Dimensional
Model )के नाम से जाना जाता है।
वेबर के अनुसार वर्गों का वर्गीकरण -
इन तीनों आधारों पर जब वेबर ने एक छोटे समाज या समूह का
वर्गीकरण किया तो इन्हे 120 वर्ग प्राप्त हुए। अपने स्तरीकरण के सिद्धांत
को जब वेबर Class ,Status ,Power के आधार पर स्पष्ट करने में
असमर्थ रहे तो इन्होने 120 वर्गों को पुनः बाजार प्रस्थिति (Market
Situation) के आधार पर बांटा जिसके फलस्वरूप इन्हे चार वर्ग प्राप्त
हुए।
1- पूँजीपति वर्ग -
इस वर्ग का बाजार में बहुत अधिक महत्त्व है क्योंकि इसके पास इतनी पूँजी है कि बाजार इसी की पूँजी से चल रहा है।2-संपत्ति विहीन सफेदपोश बाबू वर्ग -
इस वर्ग के पास पूँजी तो नहीं है परन्तु बाजार में इनका सम्मान होता है। ये उच्च वर्ग के माने जाते हैं। जैसे IAS , M.tech, M.B.A इत्यादि।3-मध्य पूंजीपति वर्ग -
इस वर्ग के अंतर्गत छोटे स्तर के व्यवसायी आते हैं। ये वर्ग कभी नष्ट नहीं होंगे।4- श्रमिक वर्ग -
इस वर्ग का बाजार में कोई मूल्य नहीं होता।वेबर ने पूंजीपति एवं संपत्ति विहीन सफेदपोश बाबू वर्ग को उच्च वर्ग के अंतर्गत रखा तथा मध्य पूंजीपति वर्ग एवं श्रमिक वर्ग को निम्न वर्ग के अंतर्गत रखा।
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