दुर्खीम का आत्महत्या सिद्धांत

दुर्खीम का आत्महत्या का सिद्धांत-


दुर्खीम का मानना है की आत्महत्या एक ऐसा मानव व्यवहार है जो व्यक्ति समाज के सन्दर्भ में करता है इसलिए आत्महत्या एक  सामाजिक तथ्य है।इसका निर्माण समाज करता है। इनके अनुसार एकीकरण और आत्महत्या दोनों एक दूसरे के विलोमानुपाती होते हैं अर्थात जहाँ एकीकरण अधिक होगा वहां आत्महत्या कम होगी जहाँ एकीकरण कम होगा वहां आत्महत्या अधिक होगी।

"आत्महत्या जो ऊपरी तौर पर एक व्यक्तिगत तथ्य और मानसिक कारकों  का परिणाम नजर आती है उसका निर्धारण अंततः समाज द्वारा होता है "Emile Durkhiem 

The Rules of Sociological method  पुस्तक में दुर्खीम ने समाजशास्त्र के अध्ययन के जिन नियमो,विधियों एवं  उपागमों का प्रतिपादन किया था उन्हें अपनी रचना "The Suicide"  में प्रयोग करके दिखाया। 

आत्महत्या के प्रकार -

  दुर्खीम 4 प्रकार की आत्महत्या की बात करते हैं -

1 -अहंवादी  आत्महत्या (Egoistic Suicide)

2 -परार्थवादी आत्महत्या (Altruistic suicide )

3 -प्रतिमानहीनतावादी  आत्महत्या (Anomic Suicide )

4 -भाग्यवादी आत्महत्या (Fatalistic suicide )

* दुर्खीम के अनुसार Egoistic एवं Anomic आत्महत्याएं सामान्यतः आधुनिक समाजों में देखने को मिलती हैं
* परार्थवादी आत्महत्या समाज के हित के लिए की जाती है।जैसे- सैनिक का युद्ध में शहीद होना। 

* बंधुआ मजदूरों और गुलामो द्वारा की गई आत्महत्या भाग्यवादी आत्महत्या के अंतर्गत आती है। 

दुर्खीम ने कैथोलिक धर्म तथा प्रोटेस्टेंट धर्म का अध्ययन किया और पाया की कैथोलिक धर्म में प्रति 10 लाख में 58 व्यक्ति आत्महत्या करते हैं जबकि प्रोटेस्टेंट धर्म में प्रति 10 लाख में 194 व्यक्ति आत्महत्या करते हैं। इसका कारण है की कैथोलिक धर्म में संगठन अधिक पाया जाता है जिस कारण यहाँ आत्महत्या की दर कम है जबकि प्रोटेस्टेंट धर्म में कम संगठन पाया जाता था इसलिए यहाँ आत्महत्या अधिक है।

इस सिद्धांत में दुर्खीम ने सांख्यिकीय आँकणों का प्रयोग किया था और इसी सिद्धांत की वजह से दुर्खीम के समाजशास्त्र को वैज्ञानिक समाजशास्त्र कहा जाता है और इन्हे आधुनिक समाजशास्त्र का पिता कहा जाता है।

"दुर्खीम पहले व्यक्ति थे जिन्होंने  Anomie शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम अपनी पुस्तक  " The division of labour" में किया  जिसे बाद में अपनी पुस्तक  "The Suicide" में पूर्णतः विकसित  किया।"


आत्महत्या के विश्लेषण द्वारा दुर्खीम ने अप्रत्यक्ष रूप से अपराध के सामाजिक सिद्धांत को प्रतिष्ठित किया। 


इसे भी देखें :-

दुर्खीम - धर्म का प्रकार्यवादी सिद्धांत





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