मार्क्स का-अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत
मार्क्स का अतिरिक्त मूल्य का सिद्धांत -(Theory of Surplus Value) विक्रय मूल्य - लागत = अतिरिक्त मूल्य (लाभ) किसी वस्तु के उत्पादन की अवधि में किये गए श्रम के वास्तविक मूल्य से कम मूल्य श्रमिकों को देकर पूंजीपति बचाये हुए मूल्य को हड़प जाते हैं। यही बचाया हुआ मूल्य अतिरिक्त मूल्य(surplus value )कहलाता है। पूंजीपति इस अतिरिक्त मूल्य को अपने पास बचाकर इसे पुनः निवेश कर देते हैं। यह प्रक्रिया ही पूंजीवादी व्यवस्था के परिचालन का मुख्य आधार है। स्वयं में वर्ग और स्वयं के लिए वर्ग- मार्क्स के अनुसार समाज में आर्थिक व्यवस्था के आधार पर दो वर्ग होते हैं - १-वस्तुनिष्ठ वर्ग (Objective Class )- इस वर्ग को ही स्वयं में वर्ग (Class in Itself )कहा जाता है इसके अंतर्गत पूंजीपति वर्ग आता है।यह वर्ग लोगों का एक ऐसा स...